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डायलिसिस (Dialysis) क्या है

 



हैलो फ्रेंड्स आज मैं आप सब को एक नए विषय के बारे में बताने वाला हु । आज हम डायलिसिस के बारे में जानने वाले है । डायलिसिस क्या है । डायलिसिस कब कराना परता है । डायलिसिस क्यों कराना चाहिए । इन सारी बातों का जवाब इस आर्टिकल में देने वाला हु । यह जानकारी बहुत महत्वपूर्ण होने वाला हैं तो आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े और अपने दोस्तों के साथ साझा करें ।  


डायलिसिस क्या है (Dialysis in hindi)


जब किसी कारण इंसान के किडनी में कोई खराबी आने लगती है । या किडनी सही से काम नहीं कर पाता है । या किडनी फेल्योर जैसी समस्या आ जाती है । तो उस व्यक्ति को डायलिसिस की जरूरत होती है । 

डायलिसिस के बारे में जानने से पहले आपको किडनी के बारे में जरूर जान लेना चाहिए । 
अब सबसे पहले जानते है की किडनी इतना महत्वपूर्ण क्यूं है । 

किडनी  हमारे शरीर में महत्पूर्ण भूमिका निभाते है । 
हमारे शरीर दो किडनी पाए जाते हैं । जो की सेम के बीज के आकार का होता है । तो चलिए इसके महत्वपूर्ण काम के बारे में जानते है । 
यह हमारे शरीर से अपशिष्ट पदार्थों जैसे यूरिया , अमोनिया विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकलता है । यह विषाक्त पदार्थ हमारे शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक होता है इसलिए इसे शरीर से बाहर निकलना बहुत जरूरी होता है । जो काम दोनो किडनी मिलकर करता हैं । 

और इसके साथ ही किडनी हमारे रक्त को को भी छानता है । रक्त को साफ करता है । लेकिन जब किडनी फेल्योर हो जाता है तो यह अपने कार्य अनुसार काम नही कर पाता है । जिससे शरीर में विषाक्त पदार्थ फिर से जमा होने लगता है । इसी कारण से डायलिसिस करना परता है । 



डायलिसिस के प्रकार ( types of Dialysis in hindi) 



आइए अब जानते है डायलिसिस के प्रकार के बारे में यानी डायलिसिस विधि कितने प्रकार से किया जाता है । डायलिसिस के लिए दो विधि अपनाया जाता है । 


 1.  हीमोडायलिसिस (Hemodialysis) 


    हीमोडायलिसिस एक आर्टिफिशियल डायलिसिस       विधि है इसमें खून को एक मशीन के जरिए शरीर से      बाहर निकाला जाता है । इस मशीन को                   डाइलाइजर  कहा जाता है  । इसे आर्टिफिशियल          किडनी  भी कहा जाता है । इस मशीन में एक पंप        लगा होता है । जिसकी मदत से खून को                    डायलाइजर मशीन में भेजा जाता है । इस मशीन में       खून  को फिल्टर किया जाता है । और उसमे से           टॉक्सिक पदार्थ को को अलग कर दिया जाता है       और  खून को साफ कर देता है । जब इस मशीन में     खून पूरी तरह साफ हो जाता है तो फिर खून मशीन      जरिए उस व्यक्ति के शरीर में पहुंचा दिया जाता हैं । 
    यह तब कराया जाता है जब इंसान का किडनी             काम  नही करता है । 
     हीमोडायलिसिस को हफ्ता में तीन बार किया             जाता है ।
     



  2.  पेरिटोनियल डायलिसिस ( peritoneal             Dialysis)

  

      पेरिटोनियल डायलिसिस के प्रक्रिया में सबसे             पहले छोटी सी ऑपरेशन करके एक ट्यूब पेट के        निचले हिस्से में डाल दिया जाता है । जिसे कैथेटर        कहते हैं । कैथेटर डालने के बाद पेट में एक विशेष।      प्रकार का फ्ल्यूड डाला जाता है । यह फ्ल्यूड पेट        में तीन से चार घंटों तक रहता है । 
   और यह फ्ल्यूड शरीर के अपशिष्ट पदार्थों को             शोख लेता है । और तीन से चार घंटों के बाद उस        फ्ल्यूड को वापस नली के द्वारा वापस निकाल             दिया जाता हैं ।
   यह प्रक्रिया दिन में तीन से चार बार किया जाता है 
    पेरिटोनियल डायलिसिस को घर पर भी किया           जा सकता है । 


    पेरिटोनियल डायलिसिस  दो प्रकार से             किया जाता हैं ।


निरंतर चलने वाला पेरिटोनियल डायलिसिस continues Ambulatory peritoneal Dialysis (CAPD) 


यह सरल प्रक्रिया है उन लोगों के लिए जिनको ऑफिस में काम करने जाना होता है । इस प्रक्रिया में 3-4 घंटे डायलिसिस फ्ल्यूड को पेट में रखना होता है ।  


स्वचालित पेरिटोनियल डायलिसिस Automated Peritoneal Dialysis (APD) 


यह एक मशीन के माध्यम से होता है जिसमे आदमी को सोने से पहले मशीन से कनेक्ट कर दिया जाता है । जो फ्ल्यूड को 8-10 घंटे तक पेट में रखता है । और अगले दिन इसे बाहर निकाल दिया जाता हैं । 
यह ऑटोमैटिक मशीन द्वारा होता है । जिसमे आदमी सो रहा होता है । और मशीन अपना काम करता रहता है । 



उम्मीद  है यह जानकारी आपको अच्छा लगा होगा । अगर आपके मन में इस टॉपिक से जुड़े कोई सवाल हो तो हमे कमेंट्स जरूर करें  । 

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