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मादा प्रजनन तंत्र (female reproductive system) क्या है

 

हैलो फ्रेंड्स हमेशा की तरह इस बार भी मैं अपने ब्लॉग पर आप सभी का स्वागत करता हूं । आप सब इसी तरह से अपना प्यार इस ब्लॉग पर बनाए रखना । और मै इसी तरह आपको नई - नई जानकारी देता रहूंगा । 

आज मैं आप सभी को एक नए टॉपिक के बारे में विस्तार से बताने वाला हु । इस टॉपिक का नाम है ।  मादा जनन तंत्र     (Female Reproductive System) 

आप सभी को मादा जनन तंत्र से जुड़ी सारी जानकारी देने वाला हु । तो ज्यादा जानने के लिए इस आर्टिकल को लास्ट तक जरूर पढ़े  


मादा जनन तंत्र क्या हैं (Female Reproductive System in hindi) 


तो चलिए अब जानते है की मादा या स्त्री जनन या  प्रजनन क्या है । सबसे पहले जानते हैं की - 
 जनन किसे कहा जाता है - जब नर और मादा दोनो आपस में संबंध बनाते है तो उसे जनन कहते है । 
इसे साधारण भाषा में समझे तो जनन वह प्रकिया है जिसमे नर (पुरुष) और मादा (स्त्रीलिंग) द्वारा युग्मक (संतान) का निर्माण होता है । इसी प्रोसेस को जनन या प्रजनन कहते है । हर एक जीव अपनी संख्या बढ़ने के लिए प्रजनन करते है 
जनन  दो प्रकार के होते है - लैंगिक (sexual)जनन और अलैंगिक (Asexual) जनन । 
अब जनन क्या है यह जान गए है अब जानते है की मानव मादा जनन अंग कौन कौन है  । और मादा में जनन कैसे होता है । 


मादा जनन तंत्र में भाग लेने वाले अंग कौन कौन है (What are the organs involved in the reproductive system) 





अंडाशय (overy) - 


अंडाशय स्त्री का प्राथमिक लैंगिक अंग है जो स्त्री में अंडाणु (ovem) का निर्माण करता है । स्त्री में दो अंडाशय (overy) पाया जाता है।  यह उदर के निचले भाग के दोनों ओर एक - एक अंडाशय स्थित होता है । 
जैसा की आप चित्र 3.3 (ब)  में देख सकते है । 
प्रत्येक अंडाशय की लंबाई 2 से 4 सेमी. के लगभग तक होती है । 
अंडाशय श्रोणि भित्ति तथा गर्भाशय से स्नायु या  लिगामेंट्स के द्वारा जुड़ा होता है । 
प्रत्येक अंडाशय एक पतली एपीथिलियम से ढका होता है जो की अंडाशय पीठिका (ovarian stroma) से जुड़ा होता है ।  यह पीठिका दो क्षेत्रों एक परिधिय वल्कुट (peripheral cortex) और आंतरिक मध्यांस (medula) मे विभक्त होता है । 


अंडवाहिनी या डिम्बवाहिनी नलिका (fallopian tube) - 


गर्भाशय तथा योनि मिलकर स्त्री सहायक नीलिकाएं बनाती है । प्रत्येक नली लगभग 10 -12 से. मी.  लंबी होती है । जो प्रत्येक अंडाशय परिधि से चलकर गर्भाशय तक जाती है । 
अंडाशय के ठीक पास डिंबवाहिनी का हिस्सा कीप के आकार का होता है जिसे कीपक (infundibulum) कहा जाता हैं । इस कीपक के किनारे में उंगली जैसी संरचना होती है जिसे झालर (Fimbriae) कहते है । अंडोत्सर्ग के दौरान अंडाशय में उत्सर्जित अंडाणु को संग्रह करने में ये झालर सहायक होते है । 
कीपक के आगे चलकर अंडवाहिनी के एक चौड़े भाग में खुलता है , जिसे तुंबिका (Ampulla) कहते है । अंडवाहिनी का अंतिम भाग संकीर्ण पथ (Isthmus) कहलाता है । संकीर्ण पथ में एक संकरी आवकाशिका (limen) होती है , जो गर्भाशय को जोड़ती है । 


गर्भाशय (Uterus) 






गर्भाशय केवल एक होता है और इसे बच्चादानी (wumb) भी कहते है ।  गर्भाशय का आकार उल्टी रखी गई  नाशपाती जैसा होता है । यह श्रोणि भित्ति से स्नायुओ द्वारा जुड़ा होता है । गर्भाशय एक पतली ग्रीवा द्वारा योनि में खुलता है । ग्रीवा की गुहा को ग्रीवा नाल   (cervical canal) कहते है । जो योनि के साथ मिलकर जन्म नाल (birth canal) की रचना करती है । गर्भाशय की भित्ति , उतकों की तीन परत वाली होती है । बाहरी पतली झिल्लीमय स्तर को परिगर्भाशय (perimatrium) तथा मध्य मोटी चिकनी पेशीय स्तर को गर्भाशय पेशी स्तर (Myomatrium)  कहते है और आंतरिक ग्रंथिल स्तर को गर्भाशय अंत: स्तर (Endomatrium) कहते है , जो गर्भाशय गुहा को स्तरित करती है । 



बाह्य जननेन्द्रिय (External genetila) 


स्त्री के बाह्य जननेन्द्रिय के अंतर्गत जघन शैल (mons pubis) , वृहद भगोष्ठ (Lebia majora) , लघु भगोष्ठ (Lebia minora) , योनिच्छिद (Hymen) और भगशेफ (clitorises) आदि होते है । 

जघन शैल  - यह वसामय उतकों से बनी एक गद्दी सी होती है । जो त्वचा और जघन बालों से ढका होता है । 

वृहद भगोष्ठ -  उतकों का  मांसल वलन ( foulds) है , जो जघन शैल से नीचे तक फैले होते है  और योनि द्वार को घेरे रहते  है । 

लघु भगोष्ठ -  उतकों का एक जोड़ा वलन होता है । और यह वृहद भगोष्ठ के नीचे स्थित होता है । 

योनिच्छिद (Hymen) - यह एक पतली झिल्ली से आंशिक रूप से ढका होता है । जो पहले मैथुन (संभोग) के दौरान फट जाता है लेकिन यह झिल्ली खेल - कूद  , के दौरान भी फट सकता है  । 

भागशेफ - यह एक उंगली जैसी संरचना होती हैं जो मूत्र द्वार के उपर दो वृहद भगोष्ठ के ऊपरी मिलन बिंदु के पास स्थित होता है ।   


मासिक चक्र (Menstrual cycle) 


मासिक चक्र (बंदर , कपि और मनुष्य ) में होने वाले जनन चक्र को कहते है । मासिक चक्र को मासिक धर्म , माहवारी , राजोधर्म के नाम से भी जाना जाता है । यह यौवनारंभ में शुरू होता है ।
 यह चक्र 28/29 दिनों की अवधि के बाद दोहराया जाता है । 



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