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एड्स (AIDS) क्या हैं ।

 



एड्स (AIDS) क्या है 


एड्स का फुल फॉर्म उपार्जित प्रतिरक्षा न्यूनता सिंड्रोम (Acquired Immuno Deficiency Syndrome) है । और यह HIV (Human Immunodeficiency virus ) वायरस से होता है । यह वायरस हमारे इम्यून सिस्टम को कमजोर करती हैं । जिससे को उस व्यक्ति को बहुत सी बीमारियां घेर लेती है । और वह व्यक्ति एड्स का शिकार हो जाता है । 
इसे और जानने के लिए चलिए इसके इतिहास के बारे में थोड़ा जान लेते है । 
सन् 1981 ईस्वी में इस रोग का पता चला था । और सन् 1983 ईस्वी में डॉक्टर Luc Montagnier ने इस रोग के वायरस की खोज की थी । 
आजकल यह रोग विश्व भर में फैल रहा है । WHO (World Health organisation) के आंकड़ों के अनुसार संसार के 150 देशों में लगभग दो करोड़ से भी अधिक लोग एड्स रोग से पीड़ित हैं । 
जिसमे से पुरुषों की संख्या सबसे अधिक है । यह विषाणु जनित रोग है । जो HIV विषाणु से फैलता है । सबसे पहले इस रोग का विषाणु HIV (Human Immunodeficiency virus) अफ्रीका के खास प्रजाति के बंदर में पाया गया और वहीं से यह पूरी दुनिया में फैला । 
1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता हैं।


एड्स के लक्षण 


किसी व्यक्ति के शरीर में HIV के प्रवेश को प्राथमिक संक्रमण कहते है । इसका संक्रमण 2 से 4 सप्ताह में दिखाई नहीं देता है । परंतु इसके बाद 70 से 80% व्यक्तियों में कुछ समय के लिए कुछ लक्षण दिखाई देते हैं । जैसे - हल्का बुखार , सिर दर्द , बदन दर्द , फोरें फुंसियां आदि । 
फिर यह लक्षण शीघ्र ही समाप्त हो जाते है । और लगभग 3 से 12 वर्षो तक कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है । लेकिन HIV वायरस अपना काम अंदर ही अंदर करता रहता है । अर्थात T-4 लिम्फोसाइट में HIV का प्रचुरोदभवन होता रहता है । और धीरे - धीरे रुधिर के साथ - साथ शरीर के अन्य भागों में पहुंच जाता है । 
3 से 12 वर्षों के बाद T-4 लिम्फोसाइट के विनाश के कारण संक्रमित व्यक्ति के शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता धीरे - धीरे कमजोर होने लगती है । ऐसा व्यक्ति पूर्ण विकसित एड्स रोगी का शिकार हो जाता है । 
जिनमे निम्लिखित लक्षण दिखाई देते है - 
न्यूमोनिया , अंधापन , पागलपन , त्वचा कैंसर , चेहरे पर दाने , लगातार बुखार , अतिसार , भूख की कमी , थकावट , कमजोरी महसूस होना , पूरे शरीर में दर्द , सूखी खांसी , मुख और आंतों में घाव , आदि । 
अंततः व्यक्ति का प्रतिरक्षा तंत्र इतना कमजोर हो जाता है की व्यक्ति को मलेरिया , TB आदि कई प्रकार के संक्रामक रोग से उसकी मृत्यु हो जाती हैं । 





एड्स (AIDS) कैसे फैलता है 


1. संक्रमित पुरुषों के वीर्य में HIV होता है । अतः यह लैंगिक सहवास के द्वारा सबसे अधिक फैलता है । 

2. यदि संक्रमित व्येक्ति का रक्त (ब्लड) स्वस्थ व्येक्तियों को देने से HIV का संक्रमण फैलता है । अतः बिना जांच के किसी का ब्लड न ले और नहीं दे । 

3. डॉक्टरों द्वारा इंजेक्शन सुई से व्यक्तियों को इंजेक्शन लगाने से एचआईवी (HIV) रोगी से यह स्वस्थ मनुष्य में पहुंच सकता है । अतः इंजेक्शन का प्रयोग एक व्यक्ति पर करने के बाद दूसरे व्येक्ति पर नही करना चाहिए । इंजेक्शन को एक बार उपयोग करने बाद उसे नष्ट कर देना चाहिए ।  


4. संक्रमित मादा से HIV भ्रूण में या दुग्धपान द्वारा शिशु में पहुंच सकता है । 

5. स्वस्थ व्यक्ति में संक्रमित व्यक्ति के अंग प्रत्यारोपण से भी HIV संक्रमण फैल सकता है । 

6. किसी व्यक्ति का प्राइवेट पार्ट का सामान इस्तेमाल करने से भी HIV संक्रमण फैल सकता है जैसे - टॉवेल , रेजर आदि । 

7. एक से ज्यादा लोगों से संभोग करने वाले व्यक्तियों से संभोग करने से यह बीमारी फैलता है । 




एड्स का  नियंत्रण  






1. सबसे पहले सभी व्यक्ति को एड्स के बारे में पूर्ण जानकारी होना चाहिए । ताकि वह सावधानियां बरत कर इस रोग से बच सकें । 

2. इंजेक्शन सुई का एक बार प्रयोग करने के बाद उसे फेंक देना चाहिए । 

3. दाता के रुधिर की जांच करने के बाद ही रुधिर देना चाहिए । 

4. अंग प्रत्यारोपण के लिए भी अंगों का HIV के लिए परीक्षण कराना चाहिए । 

5. सहवास के लिए विशेष सावधानी बरतनी चाहिए तथा कंडोम का प्रयोग करना चाहिए । 


एड्स रोग का निदान तथा उपचार 


HIV के संक्रमण की पहचान अर्थात रोग निदान वैसे तो इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा वीर्य , योनि स्राव , लार , दुग्ध , रुधिर , आदि तरल पदार्थों में वायरस की उपस्थिति से की जा सकती हैं । परंतु वैज्ञानिकों ने इसकी सरल रासायनिक जांच की विधियों का आविष्कार कर लिया है । 
रुधिर में उपस्थित एंटीबॉडीज की सीरमी जांच द्वारा पता लगाकर HIV का संक्रमण होने या न होने का निर्धारण किया जाता है । 
इस जांच के लिए एलिसा टेस्ट किया जाता है या एलिसा किट का प्रयोग किया जाता है । 


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