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पुरुष जनन तंत्र (Male Reproductive System) क्या है

 


दोस्तो आज के इस आर्टिकल मैं आपको पुरुष जनन तंत्र के बारे में बताने वाला है । की पुरुष जनन तंत्र क्या है । और इसमें कौन कौन अंग शामिल है ।  पूरी जानकारी देने वाला हु । 



पुरुष जनन तंत्र क्या है ? 

 

पुरुष जनन तंत्र वह सभी अंग शामिल है जो पुरुष जनन तंत्र में सहायता करते है । 

पुरुष जनन तंत्र में निम्नलिखित अंग आते है । 


1. वृषण कोष (scrotal sacs)

2. वृषण       (Testes)

3. अधिवृषण  ( Epididymis )

4. शुक्रवाहिनियां   (vas difference)

5. शुक्राशय    (seminal vesicles)

6. मूत्र मार्ग    ( urethra)

7. शिशन       (penis)

8. सहायक जनन ग्रंथिया (Accessory sex gland )



वृषण कोष (scrotal sacs ) 


वृषण कोष उदर गुहा के बाहर नीचे की ओर दोनों टांगों के बीच में थैलीनुमा संरचना होती है । जिसे वृषण कोष या अंड कोष कहा जाता है । 
उसपर पतली ढीली - ढीली रोम युक्त टेक त्वचा होती है । जिसके अंदर दोनों वृषण बंद रहते है । 
वृषण कोष के भीतर बीचों बीच में एक पेशीय अंडकोष विभाजक पट होता है जो कोष को दो भागों में बांटता है । और दोनों भागों में एक - एक वृषण होता है । 


वृषण कोष का कार्य 


वृषण कोष थर्मोरेगुलेटर का कार्य करता है । इसका ताप शरीर के ताप से लगभग 2-3° सेंटीग्रेट नीचे रहता है । यह उच्च ताप से शुक्राणु की बचाता है । ताकि  उच्च ताप से शुक्राणु नष्ट न हो जाए इसलिए यह इसलिए यह बाहर होता है । ।


वृषण (Teates)


वृषण की लंबाई 4-5 सेमी होती है तथा इसकी मोटाई 2.5 सेमी होती है । यह गुलाबी रंग का अंडाकार संरचना होती हैं । 
दोनों वृषण मोटे दो स्तरीय वृषण खोल में बंद रहते है ।
पुरुषों में वृषण शरीर से बाहर वृषण कोष में पाए जाते है । 


अधिवृषण ( Epididymis) 


अधिवृषण 6cm लंबी एक पतली नलिका होती है । यह अत्यधिक कुंडलित जैसी संरचना होती है । 
इसका कार्य वृषण से शुक्राणुओ को शुक्रवाहिनी में पहुंचाना तथा स्खलन से पहले अर्थात वीर्य निकलने से पहले शुक्राणुओं को संचय करके पोषण प्रदान करना । तथा निषेचन के लिए शुक्राणुओं को परिपक्व करना ।


शुक्रवाहिनी (vas diffrence) 


यह 40 cm लंबी कुंडलित नलिका का होती है । यह वृषण नाल या इग्विनल गुहा से उदर गुहा में पहुंचकर मूत्रवाहिनी के साथ फंदा बनाती हुइ थैली जैसी संरचना शुक्राशय में खुलती है । शुक्रवाहिनी की गुहा सकरी होती है इसमें चिकने तरल पदार्थ का स्राव होता रहता है । जो शुक्रवाहिनी की गुहा को चिकना बनाता है । इसी कारण शक्राणु आगे की ओर बढ़ पाता है । 


शुक्राश्य (seminal vesicles) 


थैलीनुमा संरचना मूत्राशय के आधार भाग से लगा होता है । जिसे शक्राशय कहते है । 
यह एक ग्रंथील रचना होती है । इसमें क्षारीय तरल स्रावित होता रहता है । जो शुक्राणुओं को सक्रिय रखता है । शुक्राणु सहित यह तरल वीर्य या सीमेन कहलाता है । 


मूत्र मार्ग (urethra) 


मूत्र मार्ग मैथुन अंग शिशन से होता हुआ आगे की ओर शिखर पर स्थित मूत्र जनन छिद्र द्वारा बाहर खुलता है । 

शिशन (penis) 


यह पुरुषों में पाया जाने वाला बेलनाकार मांशल रचना होती है । सामान्य अवस्था में कार्पोरा के कोटर खाली होते है । और पेशियां सिकुड़ी होती है । परंतु मैथुन के समय शिशन धमनी से बहुत सा रुधिर कार्पोरा के इन कोटरों में भर जाता है । इसीलिए शिशन फूलकर लंबा , मोटा और हो जाता है । 


सहायक जनन ग्रंथिया 


पुरुष जनन अंगों से संबंधित कुछ ग्रंथियां पाई जाती हैं जो जनन क्रिया करने में सहायता प्रदान करता हैं । 
जो निम्न है ।

प्रोस्टेट ग्रंथि 

काउपर्स ग्रंथि 


प्रोस्टेट ग्रंथि 

प्रोस्टेट ग्रंथि से एक द्रव्य स्रावित होता है । जो वीर्य का 25-30% भाग बनाता है । जिसमे पेप्सिनोजन , लाइसोजाइम , एमाइलेज आदि एंजाइम पाए जाते है । 
यह पदार्थ शुक्राणुओ को सक्रिय बनाता है । 


काउपर्स ग्रंथि  

काउपर्स ग्रंथि क्षारीय द्रव्य स्रावित करती है जो मैथुन के समय मूत्र मार्ग को चिकना बनाता है । 

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